तिरंगे तू गवाह है, Poem by Dr Dilip Mittal

तिरंगे तू गवाह है,

तिरंगे तू गवाह है,
तेरे ही सामने, संविधान ने
जाती, धर्म, वर्ण- रहित सामाज कि व्यवस्था दी थी,
लेकिन, आज नागरिकों से सबसे पहला सवाल होता है -
S/C हो S/T हो OBC हो या गुर्जर हो, और तो और,
तेरे बन्दों का विश्वास भी नहीं करते,
प्रमाण पत्र मांगते हैं, और प्रमाणित करवाते हैं,
उन लोगों से जिनकी प्रमाणिकता खुद संदेहास्पद है,
ऐ तिरंगे सावधान,
तू ही कुछ कर, नहीं तो एक दिन,
ये, तुझसे ही, तेरी जाती पूछेंगे.

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