पानी रे पानी Poem by Priyanka Gupta

पानी रे पानी

Rating: 5.0

पानी रे पानी कितना अमूल्य है तू
तुझ बिन ये धरती विरानी

जिसने प्यास की तड़प गुज़ारी
उसने तेरी कीमत जानी

जल बिन जीवन सोचूँ कैसे
पौधों का जीना भी पड़े है भारी

तुझे बचाना है कर्तव्य हमारा
तभी धरती पर रहेंगे प्राणी

Sunday, October 19, 2014
Topic(s) of this poem: water
COMMENTS OF THE POEM
divyanshi 08 January 2019

dewalra

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