अत्याचार Poem by RAHUL KAUSHIK

अत्याचार

क्या सभ्य समाज की यही परिभाषा
बलात्कार के बाद कानून उसे बचाता
समाज का ताना बना इतना कमजोर कैसे हो गया
बहू बेटियों पर इतना अत्याचार कैसे हो गया
देवी माँ कहकर पूजा जाता है पत्थरो को
पर देवी स्वरूपा बालिकाओं को क्यो है मारा जा रहा
दुर्गा काली या हो अम्बे
स्त्री रूप धरकर येँ ही तो बनती जगदम्बे
जब जब संसार मे
या हो सभ्य समाज मे
व्याप्त हुआ तम का राज
तभी हुआ नारी शक्ति का विकास
- - राहुल कौशिक

COMMENTS OF THE POEM
Payal Banka 14 April 2018

👍👍i can just say, even educated people does all nonsense.. So mind set of people need to change.

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RAHUL KAUSHIK

RAHUL KAUSHIK

LAKSAR, DISTT-HARIDWAR
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