आज फिर तेरी याद आई हैं... Poem by Kamal Meena

आज फिर तेरी याद आई हैं...

Rating: 4.0

आज फिर तेरी आँखें याद आई हैं
कुछ तो हैं तेरे मेरे दरमियान
कि आज भी मेरी आँख भर आई हैं
आज फिर तेरी याद आई हैं...

तेरी हाँ की उम्मीद इस दिल में
आज भी बाकी हैं
तेरी मोहब्बत में पागल होने को
दिल आज भी राज़ी हैं...

मानते हैं फासले किस्मतों के हैं
पर कुछ खता तुम्हारी भी हैं
बस जरा सा यकीन किया होता मेरी वफ़ा पर
तेरे संग जीने का कुछ हक़ दिया होता...

आज फिर तेरी आँखें याद आई हैं
कुछ तो हैं तेरे मेरे दरमियान
कि आज भी मेरी आँख भर आई हैं
आज फिर तेरी याद आई हैं...

Monday, November 24, 2014
Topic(s) of this poem: love and pain
COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 24 November 2014

आपकी कविता के बारे में क्या लिखूँ. मित्र काहिल मेहर, इसे हर कोई अद्वितीय ही कहेगा. प्रेम की इतनी तीव्र अभिव्यक्ति दुर्लभ है.

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