सुख और दु: ख Poem by Rinku Tiwari

सुख और दु: ख

Rating: 4.0

सुख और दु: ख क्या हैं?
नदी के दो किनारे,
दिन भर काम करते
फिर भी खाने को निहारे
क्या ये सुख है कि दुःख
पेड़ खड़े एक जगह
उन्हें एहसास नहीं सुख-दुःख
प्रेम सहित अपने फल खिलाते
बाटते सभी के साथ अपने
चाहे सुख हो या दुःख
स्वार्थ रहित सबका हित करने वाला
होता नहीं उसे कभी दुःख-सुख
उन्हें भय नहीं लाभ-हानि
सुख-दुःख और हार-जीत
लाभ-हानि जीवन की हैं सर्दी-गर्मी
जो इन्हें समझते समान
उनका जीवन है कीर्तिमान

Saturday, January 3, 2015
Topic(s) of this poem: happiness
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Rinku Tiwari

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HOJAI
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