गज़ल का शेर Poem by Anchal Dhanush Verma

गज़ल का शेर

सूख गये हैं ख़्वाब हमारे, आँखों की नमी पर,

अब खुशी बाँटने क्यों आई हो जब नहीं आई गमी पर,

और मत भूल की वक्त के इस आदमी में वो जुर्रत है कि अब भी

कुचल दें आँसमा भी रख कर शीशा जनी पर|

छोड़ के तुम हमे चली गईं हो किसी दूसरे के संग,
फिर भी हर बार बेवफाई का इलजाम आता है हमी पर|
- अंचल वर्मा

गज़ल का शेर
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