ये सुहाना मौसम
ये फाल्गुन का महीना,
ये सुहाना मौसम,
ये ठंडी ठंडी हवाएं,
कभी-कभी बूंदा-बांदी,
ये मचलती लताएं,
ये मुस्कुराते फूल,
अंगड़ाई लेती कलियां,
पतंगे उड़ाते बच्चे,
पीली -पीली सरसों के
परिधान औढें खेत खलिहान,
हवा में लहराता आंचल,
अठखेलियां करती बच्चियां,
खुशबूओ से सराबोर
धरती और आसमान,
उम्मीदें जगाती
गेहूं व सरसों की फसलें,
बहुत याद आएगी,
जब बदलेगा मौसम।
जेढ की तपिश,
सूरज की किरणों का कहर,
रंगत बदलती वादियां,
घरों में कैद तरूणाई।
कुदरत फिर होगी मेहरबान,
फिर आएगा सावन,
बहारें होंगी जबाँ,
फूल मुस्कुराएंगे धरती महकेगी,
गीत सावन के गाएंगे,
उमंगे भी चढ़ेगी परवान।
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