An Amazing Weather Poem by vijay gupta

An Amazing Weather

ये सुहाना मौसम

ये फाल्गुन का महीना,
ये सुहाना मौसम,
ये ठंडी ठंडी हवाएं,
कभी-कभी बूंदा-बांदी,
ये मचलती लताएं,
ये मुस्कुराते फूल,
अंगड़ाई लेती कलियां,
पतंगे उड़ाते बच्चे,
पीली -पीली सरसों के
परिधान औढें खेत खलिहान,
हवा में लहराता आंचल,
अठखेलियां करती बच्चियां,
खुशबूओ से सराबोर
धरती और आसमान,
उम्मीदें जगाती
गेहूं व सरसों की फसलें,
बहुत याद आएगी,
जब बदलेगा मौसम।
जेढ की तपिश,
सूरज की किरणों का कहर,
रंगत बदलती वादियां,
घरों में कैद तरूणाई।
कुदरत फिर होगी मेहरबान,
फिर आएगा सावन,
बहारें होंगी जबाँ,
फूल मुस्कुराएंगे धरती महकेगी,
गीत सावन के गाएंगे,
उमंगे भी चढ़ेगी परवान।

Sunday, February 24, 2019
Topic(s) of this poem: weather
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
vijay gupta

vijay gupta

meerut, india
Close
Error Success