दुश्मन ने आंख दिखाई तो, काढ़ कर रख देंगे।
ढीली कर देंगे पतलून, बम फाड़ कर रख देंगे।
एक भी गोली आएगी, सीमा पार से गर कोई,
हम तोपों के दहकते गोले, बाढ़ कर रख देंगे।
सीमा पार बैठ कर, मचाएगा वह शोर कभी,
उसके चिल्लाने का जबाब, दहाड़ कर हम देंगे।
रखते हम भी कम नहीं, उससे कोई हथियार,
हथियारों का घमंड उसका, झाड़ कर रख देंगे।
हमारे घर में घुसने की, जुर्रत अगर दिखाई तो,
देखते ही घर उसका, उजाड़ कर रख देंगे।
काट डालेंगे सर वो, उठकर झांकेगा इधर जो,
बुरी नजर से, वहीं जमीं में, गाड़ कर रख देंगे।
किसी भी मामले में उतरेगा, शत्रु हमारे सामने,
हर मुकाबले में उसको, पछाड़ कर रख देंगे।
हम भारत के सैनिक हैं, दम खम से भरपूर,
जंग के मैदान में सबको, लताड़ कर रख देंगे।
- एस० डी० तिवारी
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem