भारत की गरीबी
भारत की गरीबी को देख पछताता मन , हर रोज एक नये चेहरे दिखाता मन कोइ घर के परेसानियो से जूझता है , कोइ पेट भरने के दानो से जूझता है
आदमी बीमार और जेब फटेहाल है, सोने वाली चिडिया का यही बूरा हाल है
भारत का हाल तो एक नवजाल है, सोने वाली चिडिया का यही बूरा हाल है
भारत मे गरिबी से यदी कोइ परेसान हो उस जिले के जिलाधीकारि को भी ग्यान हो
यदि ज्ञान नही है तो भ्र्ष्टाचार का कमाल है, भ्रष्ट डी.एम को हटाना भारत का ये काम है
सारे भ्रष्टचरियो का पूंज वहिष्कार हो या फिर उनको चौराहे पर फॉसी का व्यव्हार हो
जैसे क्लोरोफिल का पत्ती मे अभाव नही, वैसे भ्रष्टाचार का भारत मे कोई भाव नही
आपकी गलतियो का यही परिणाम है, सोने वाली चिडिया का यही बूरा हाल है
आता है चुनाव जब मन पछताता है,500-500 सौ रू मे वोट बिक जाता है
वोट नहीं आप अपने विचार बेचते है,500-500 सौ रु मे दिल के द्वार बेचते है
जैसे नाईट्रोजन बिना पौधो का विकाश नही, बिना भ्रष्टाचार यहॉ कोइ नेता खास नही
2जी 3जी चाहे चारा घोटाला देखिये, लालू रंगनाथ या किसी का ताला देखिये
सारे घोटालो मे सिर्फ एक बात समान है नेता कोइ भी हो वो तो चोर बेईमान है
मेरी कामना है कि भारत फिर से नौजवान हो, मेरे नये भारत की नयी पहचान हो
भारत भ्रष्टाचार मूक्त और स्वभीमान हो, मेरे नये भारत कि नयी पहचान हो
अविनाश पाण्डेय"खुश" ग्राम - कसियॉव, पो. जमालापुर, जौनपुर, उ. प्र.222137
भारत वंदे मातरम
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