Chaahane Lagoge (Hindi Ghazal)चाहने लगोगे Poem by S.D. TIWARI

Chaahane Lagoge (Hindi Ghazal)चाहने लगोगे

Rating: 5.0

चाहने लगोगे


दिन वो आएगा, जब मुझे तुम चाहने लगोगे ।

मुहब्बत के सलीके सभी निबाहने लगोगे ।


झांकोगे सही मायने में, जब दिल में मेरे,

उल्फत की मेरी हर बात, सराहने लगोगे ।


चले सोचे बिना, बाजार में मुहब्बत पाने,

खा लोगे धोखा तो, देने उलाहने लगोगे ।


सच्ची मुहब्बत, है मिलती कहाँ ज़माने में,

चोट अगर दिया किसी ने, कराहने लगोगे ।


रखे तुम्हारे लिए, मुहब्बत ही दिल में हम,

बेरुखी की बातें तुम भी, दाहने लगोगे ।


बना के रखे हो, किसी और के दिए रेत से,

कच्चे, उन महलों को, खुद ढाहने लगोगे ।


खा लोगे ठोकरें, सारे जहान की जब तुम,

प्यार की गहराईयां मेरी, थाहने लगोगे ।


- एस० डी० तिवारी

Monday, January 8, 2018
Topic(s) of this poem: hindi
COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 08 January 2018

Lovely ghazal with a fascinating expression for the beloved. Thanks.

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Sd Tiwari 19 January 2018

Thank you Rajnish Manga ji

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