चाहने लगोगे
दिन वो आएगा, जब मुझे तुम चाहने लगोगे ।
मुहब्बत के सलीके सभी निबाहने लगोगे ।
झांकोगे सही मायने में, जब दिल में मेरे,
उल्फत की मेरी हर बात, सराहने लगोगे ।
चले सोचे बिना, बाजार में मुहब्बत पाने,
खा लोगे धोखा तो, देने उलाहने लगोगे ।
सच्ची मुहब्बत, है मिलती कहाँ ज़माने में,
चोट अगर दिया किसी ने, कराहने लगोगे ।
रखे तुम्हारे लिए, मुहब्बत ही दिल में हम,
बेरुखी की बातें तुम भी, दाहने लगोगे ।
बना के रखे हो, किसी और के दिए रेत से,
कच्चे, उन महलों को, खुद ढाहने लगोगे ।
खा लोगे ठोकरें, सारे जहान की जब तुम,
प्यार की गहराईयां मेरी, थाहने लगोगे ।
- एस० डी० तिवारी
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Lovely ghazal with a fascinating expression for the beloved. Thanks.
Thank you Rajnish Manga ji