Gurugram Me (Hindi) गुरुग्राम में Poem by S.D. TIWARI

Gurugram Me (Hindi) गुरुग्राम में

इश्क करना दिल ने सीखा, गुरुग्राम में।
कहीं ना, जैसा हुस्न दिखा, गुरुग्राम में।
चहका खिल, बहका कहीं नजारों में दिल,
इश्क वाली गजल लिखा, गुरुग्राम में।
छैल छबीली, नजर कटीली, अलबेली,
बोली जैसी, मिर्चा तीखा, गुरुग्राम में।
डिस्को, माल, फ़ूड व फन, पब और बार,
दिल कहाँ? दिल ये चीखा, गुरुग्राम में।
कार बड़ी, बेकार बड़ी, ट्रैफिक जाम में,
मानो बसा पैरिस, अमेरिका गुरुग्राम में।
तितलियों सी रंग बिरंगी, साइबर गर्ल,
लगता परीलोक सरीखा, गुरुग्राम में।

एस० डी० तिवारी

Tuesday, September 5, 2017
Topic(s) of this poem: hindi
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