हंगामा
गुरुवार, २६ अगस्त २०२१
हंगामा जीवन में क्यो करते हो?
कभी आप से कभी कुदरत से रूठते हो
खाते, पिते बैठते अपने को कोसते हो
फ़िर मन ही मन रोते रहते हो।
जीवन में उठ आया एक तूफ़ान
नदियाँ में भी आ गाया उफान
भीतार से मन कांप उठा
गभरु मन विचलित हुआ और रूठा।
जाना था पर दिल माना नहीं
अखियों को लडाना चुका यही
सोचा जीवनसंगिनी पाना सरल होगा
मुश्किल से भरा रास्ता आसान होगा।
जीवन का फलसफा ना समज सका
सामने आ रहा खतरा दरिया बना
मुझे तेरा आता नही था
भँवर में फंसकर डरना ही था।
सोचा एकबार प्रभु को याद कर लू
मन ही मन पुकारके आशीर्वाद ले लू
आसानकर प्रभु राह मेरी
बंदगी कबूलकर, नैया पार उतार मेरी।
जीवनं को मानो सुकून मिल गया
संसार मे जीते जी तैर गया
भरोसा मेरा जीवन का लक्ष्य बन गया
ना किसी से बेर पर शांति का चहेता बन गया।
डॉ. हसमुख मेहता
साहित्यिकी
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