Hausalo Ki Hai Ye Udaan Poem by Ankit Vaghasiya

Hausalo Ki Hai Ye Udaan

डर मुझे भी लगा फ़ासला देखकर,
पर में बढ़ता गया रास्ता दे खकर.
ख़ुद ब ख़ुद मेरे नज़दीक आती गई,
मेरी मंज़िल मेरा हौसला देखकर.
मैं परिंदों की हिम्मत पे हैरान हूँ,
एक पिंजरे को उड़ता हुआ देखकर.
खुश नहीं हैं अॅहधेरे मेरे सोच में,
एक दीपक को जलता हुआ देखकर.
डर सा लगने लगा है मुझे आजकल,
अपनी बस्ती की आबो- हवा देखकर.
किसको फ़ुर्सत है मेरी कहानी सुने,
लौट जाते हैं सब गीरनार देखकर.

Tuesday, March 3, 2015
Topic(s) of this poem: struggle
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Ankit Vaghasiya

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