जो कभी अपने थे, अब क्यू हुए बेगाने.
हैं वक़्त की बाते, वक़्त ही बेहतर जाने.
१. जो कलम उठाऊ, और लिखू 'मोहोबत' तो क्या
.वो ना समझेंगे कभी, हैं जो जान के भी अनजाने.हैं वक़्त की बाते, वक़्त ही बेहतर जाने.
२. दिखेगी फिर रौशनी, ज़रा सा ठहरो अभी.
हमने भेज हैं अपना ख़ुदा, हमारे चाँद को लाने.
हैं वक़्त की बाते, वक़्त ही बेहतर जाने.
३. थाम के हाथ मेरा, चलो नींदों के सेहर मैं.
आओ फिर चलते हैं, चंद ख्वाब सजाने.
हैं वक़्त की बाते, वक़्त ही बेहतर जाने.
४. अक्स हैं तेरा, मना ले उसे फिर से.
रूठा रहा गर वो.तो नस्तर होगे ज़माने.
हैं वक़्त की बाते, वक़्त ही बेहतर जाने. (H.D.)
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