Indian Army Poem by Anjum Firdausi

Indian Army

भारतीय सेना
(तेज बहादुर &जीत सिंह)
को समर्पित।
मेरी नज़म।

हक़ की अब आवाज़ ऊठा के, बातिल से टकराएगे।।

मेरे देश के वीर जवाॅ अब, जली न रोटी खाएगे।।।।

दाल नहीं है , पानी है बस, हल्दी से रंग पीला।।।।।।।
सेवा धर्म है, पूजी रक्षा , फिर भी साया नीला।।।।।।

सरहद पे, सन्नाटे में, हर आफत तुफानों
में।।।।।।।।
बहुत ही कम रह पाते हैं ये, अच्छे किसी मकानों में।।।।।

सूबह सवेरे जागे हैं ये, दिन भर काम हैं करते।।।।
ज़ोश व ज़ज्बा इनके अंदर, दुश्मन से ये लड़ते।।।।

हवा के झोंके हों या ओले , दिन हो या हो रात।।।।
अमन का पैकर खड़ा है कहता, वतन ही है ज़ज्बात।।।

उसने अब ये अहद किया है, सच्ची बात बताएगे।।।।।।।।।
हक़ की अब आवाज ऊठा के, बातिल से टकराएगे।।।।।।।।।

अफसर आज ऊचक्के हैं कुछ, खा जाते हैं राशन।।।।
झूठा और मक्कार देश का, चला रहा है शासन।।।।

बिन पानी, बिन खाना खाए, हर बलिदान ये देते हैं।।।।
और सयासत के पाखण्डी, कुछ भी ख़बर न लेते हैं।।।।

अमनों अमां क़ायम है इनसे, देश की हैं ये शान।।।।
बोले हिन्दु, बोले मुस्लिम, बोले हिन्दुस्तान।।।।।

सारे लोग हैं साथ तुम्हारे, खुद ही नेता आएगे।।।।।
हक़ की अब आवाज़ ऊठा के, बातिल से टकराएगे।।।।।।।।।।

रचना एवं लेख: -अंजुम फिरदौसी
Anjum Firdausi
ग्रा+पो: -अलीनगर, दरभंगा, बिहार

Indian Army
Thursday, January 12, 2017
Topic(s) of this poem: nazm
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Anjum Firdausi

Anjum Firdausi

Alinagar, Darbhanga
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