मेरी तरफ से दिपावली की हार्दिक शुभकामनायें
(शुभ दिपावली)
धनतेरस की खुशयां हैं, , , , , , , , , , , , , , , , , , और दिवाली की, , , , , , , , धूम !
चलो लिखें सब हिन्दू, मुस्लिम, मिल कर एक मज़मून !
प्यार ओ उल्फत की धरती से, नफरत हमे मिटानी है!
जन्नत सा हो अपना ये घर, वो माहौल बनानी है!
थी जो एक तहज़ीब हमारी , उससे बचानी है!
मासूमो पे ज़ुल्म न होवे क़सम ये खानी है!
मज़हब की आज़ादी है, फिर मज़हब पे क्यों वॉर हुई !
कहती है आज़ादी अब तक, ओछी सब सरकार हुई!
ज़ात पात पे बाँट रखा है, गद्दी के मतवालों ने!
देश को लुटा, , , , , , खूब है खाया, , , , , अब तक इन्ही दलालों ने!
सरहद पे वीर खड़े हैं, , , , , , हर मुश्किल से ही लड़ने को!
हम भी हैं तैयार सिपाही, , , , , , , , , तेरे साथ ही मरने को!
दर्दे दिल लिखता है अंजुम, , , सच्ची बात बताने को!
तरस रहे हैं, , , , , , आज देश में, , , , , , , , , लाखों , , , , , बच्चे खाने को!
रचना &लेख: : : : : : : -अंजुम फिरदौसी
(ग्रा&पो- अलीनगर, दरभंगा, बिहार)
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