Indian Railways (Poem) Poem by Anjum Firdausi

Indian Railways (Poem)

( Indian Railways)

अपने वतन की ट्रेन की हालत, से डर गया।
एक हादसे की शकल में, बेमौत मर गया।

बुलेट की बात छोड़ीऐ, इसको सुधारीए।
जेनरल में साहब बैठये, एक दिन गुज़ारीए।

एहसास होगा आप को , जानेंगे दर्द भी।
कितना है ला इलाज , गरीबो का मर्ज़ भी।

मासूम सब को बाखबर, जाॅ दे के कर गया।
एक हादसे की शकल में बेमौत मर गया।

अंग्रेजों ने बिछाई थी ये जाल देश में।
हर रोज़ जान जाती है, इसकी चपेट में।

सूबह शाम, रात करते हैं, इससे सफर सभी।
है बेहतरी की इसको, ज़रूरत बहुत अभी।।

दिल का मेरे , सभी का , दिल से पयाम है।
ख़तरे मैं, मेरी जाॅ , हिन्दुस्तान है।

लाशों को देख आॅखों में आॅसू है भर गया।
अपने वतन की, ट्रेन की हालत से डर गया।

रचना &लेखः- अंजुम फिरदौसी
Anjum Firdausi

(Block: -Alinagar, Darbhanga, Bihar)

Indian Railways (Poem)
Thursday, January 26, 2017
Topic(s) of this poem: nazm
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Anjum Firdausi

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Alinagar, Darbhanga
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