मेरे हर कदम पर वो सवाल उठाते हैं Poem by Janid Kashmiri

मेरे हर कदम पर वो सवाल उठाते हैं

मैं कोशिश करता हूँ अच्छा और ईमानदार बनने की,
पर वो मुझे मेरे अतीत से जज करके पीछे खींच लेते हैं।

मेरे हर कदम पर वो सवाल उठाते हैं,
मेरे हर फैसले को वो शक की नजर से देखते हैं।

मैंने जो गलतियाँ कीं, वो मेरे अतीत की हैं,
लेकिन वो मेरी हर अच्छाई को नकार देते हैं।

मैं अपने दिल की सच्चाई बताना चाहता हूँ,
पर वो मेरे हर शब्द को झूठ समझते हैं।

मैं अपनी नई पहचान बनाना चाहता हूँ,
पर वो मेरे पुराने साये से मुझे आज़ाद नहीं होने देते।

मैं अच्छा बनने की कोशिश करता हूँ, हर दिन,
पर वो मुझे मेरे पुराने घावों से तौलते हैं।

मेरे ईमानदार होने की कीमत मैं चुका रहा हूँ,
उनके जजमेंट्स के बोझ तले मैं दबा हुआ हूँ।

मैं कोशिश करता हूँ अच्छा और ईमानदार बनने की,
पर वो मुझे मेरे अतीत से जज करके पीछे खींच लेते हैं।

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