किस्मत का लिखा... Kismat Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

किस्मत का लिखा... Kismat

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किस्मत का लिखा
शुक्रवार, ७ दिसम्बर २०१८

जो भी मिला, उससे किया गुजारा
किसी भी बात पर कभी ना हारा
जो भी था उसे दिल से स्वीकारा
अपनी हालत को कभी ना नकारा।

जोभी हो, जैसे भी हो
दिल से खुश और प्रफुल्लित रहो
धीरज से हालत का सामना करो
भाग्य में जो भी होवे, उसे कबूला करो।

यदि नहीं लिखा भाग्य
तो कैसे बनोगे सुयोग्य!
जब बन पडेगा कोई योग
उसे कोई नहीं सकेगा रोक।

हमें भाग्य का फैसला है मंजूर
बस सम्बन्ध बने रहे मधुर
ना कोई रहे हमसे खफा
हम तोर कहेंगे सदा वफ़ा।

किस्त्मत का लिखा कोई नहीं मिटा पाएगा
यदि हमें कुछ मिलना होगा तो मिलके रहेगा
सब अधीन है उपरवाले के हाथ
यदि ना चाहा उसने तो मिट जाएगा साथ।

हसमुख मेहता

किस्मत का लिखा... Kismat
Friday, December 7, 2018
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 07 December 2018

किस्त्मत का लिखा कोई नहीं मिटा पाएगा यदि हमें कुछ मिलना होगा तो मिलके रहेगा सब अधीन है उपरवाले के हाथ यदि ना चाहा उसने तो मिट जाएगा साथ। हसमुख मेहता

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Mehta Hasmukh Amathaal

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Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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