आज फिर दुनिया की जीत हुई और किस्मत से मेरी हार हुई,
ऐ ज़िन्दगी ये इक बार नहीं, कुदरत से ये हर बार हुआ,
टूटा तार अम्बर से जो, धरती तक पहुँचकर ख़ाक हुआ,
ऐ ज़िन्दगी ये इक बार नहीं, कुदरत से ये हर बार हुआ,
धरती का समंदर सदा खारा रहा, हर मीठे पानी की बरसात मैं भी,
ऐ ज़िन्दगी ये इक बार नहीं, कुदरत से ये हर बार हुआ,
ज़मी दिल की बंजर रही बहार मैं भी, हर पल इसमें कई दरार रहीं,
ऐ ज़िन्दगी ये इक बार नहीं, कुदरत से ये हर बार हुआ,
धुंध सरे जहाँ की आ मेरी पलकों पर बैठी गई, नज़रें मेरी धुंध से हार गई,
ऐ ज़िन्दगी ये इक बार नहीं, कुदरत से ये हर बार हुआ,
मोह मैं बांध कर बेचारे हम, हर षण यहाँ लाचार हुए,
ऐ ज़िन्दगी ये इक बार नहीं, कुदरत से ये हर बार हुआ,
अनमोल प्रेम की है गाथा, लोगों के लिए बे - मोल हुई,
ऐ ज़िन्दगी ये इक बार नहीं, कुदरत से ये हर बार हुआ,
उज्वल ये संसार रहा पर, सीने मैं सदा अंधकार रहा,
ऐ ज़िन्दगी ये इक बार नहीं, कुदरत से ये हर बार हुआ,
निर्वान बब्बर
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