मेरा मन.......mera
बुधवार, २ जनवरी २०१९
मेरा मन डोला
तेरे को देख के अकेला
नयन नक्श मन को भा गए
एक मीठी सी चुभन दे गए।
अभी तो मैंने देखा ही था
तुजे इसका कुछ भी पता नहीं था
जब आँखे एक बार मिल गई
निशानी अपने आप में छोड़ गई।
मैंने नपी दिल की गहराई
तेरी हर चीज मुझे पसंद आई
मिलना अब एक आदत सी हो गई है
दिल ही दिल में अपने आप समा गई।
"सुन ते हो "कब तक हम ऐसे रहेंगे
दुनियादारीसे हम कब तक भागते रहेंगे?
ये रिश्ते को कुछ नया नाम दिया जाय
पवित्रबंधन के एक सूत्र में बंध जाय।
मुझे उसकी बात पसंद आई
दिल कम अरमान को भी जगा गई
समाज के डर की झांकी दे गई
और समाज के प्रति सन्मान की झलक दे गई।
हसमुख मेहता
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मुझे उसकी बात पसंद आई दिल कम अरमान को भी जगा गई समाज के डर की झांकी दे गई और समाज के प्रति सन्मान की झलक दे गई। हसमुख मेहता