माँ नही है पास
सर बहूत भारी सा लगता है।
माँ नही है पास
के जाके थोड़ी देर लेट जायूं
उनकी गोद में।
माँ की गोद में
सर रखके सोया था कुछ देर।
मेरे बालों को सहला रही थी।
कभी माथे आपना हाथ फेर रही थी।
अचानक आँख खुल गयी।
मेरे माथे पर एक गरम अहसास,
एक बूँद आंसूं की
मेरी माँ की आँख से टपकी थी।
और तबसे………
सर बहूत भारी सा लगता है।
सर बहूत भारी सा लगता है।
माँ तेरा आँचल ढूंढता हूँ,
होता हूँ जब किसी उलझन में ।
अन्धकार में खो गया हूँ,
क्योंकि ढूँढ न पाया तेरा आँचल मैं ।
जिंदगी के कशमकश में ।
दुलार तेरा ढूंढ रहा हूँ,
जाते वक्त भी न तुमको देख पाया मैं,
उस मनहूस घड़ी को मैं कोसता ।
लिपट कर तुम्हारे मृत शरीर से,
तुम्हारे आँचल को पकड़ता ।
कि शायद तुम वापस आ जाओ,
और प्यार से हाथ फेरकर मुझे पुकारो ।
पर न तो मैं तुम्हें रोक ही पाया,
और न थाम ही पाया तुम्हारे आँचल को ।
माँ तेरा आँचल ढूंढता हूँ,
होता हूँ जब किसी उलझन में ।
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