वक़्त लाख चाहे मगर ख्वाहिसो के दम नहीं निकलते है
वैसे कब आ जाए वो घड़ी इसलिए रोज कफन ले के ही निकलते है।
मै देखता हूँ बहुत गौर से रोज ही आइना
दूसरों का तो देख लिया देखू अपने भी चेहरे पे कितने दाग निकलते है।
हर वो जगह देख आया जहां लोगों ने कहा मिलता है खुदा.
लेकिन कहीं मिला नहीं शायद नकाब ओढ़ कर वो निकलते है।
मैं उतनी सागर की गहराई में गया ही नही
फिर कैसे कह दूँ लोगों से वहाँ से मोती नहीं निकलते है।
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