उसकी नजर
सोमवार,24 जनवरी २०२२
मिलती रहे रोज नजर
गुजरता रहे सुहाना सफर
जीवन का मंजर है कठिन
पर मैंने ठान ली है मन।
बहुत गहरी है तेरी आँखे
मन ना चाहकर भी भीतर झांखे
मिले उसे प्यारभरी चाहत
ना कहते हुए भी मिल जाती आहट
जब भी मिलती हो
कुछ ना कुछ कह देती हो
जीवन में जोश भर देती हो
हौसलों के साथ जिनेको मजबूर कर देते हो।
प्यार का जज्बा होता है अनोंखा
जीवन मे हर रोज रहते है लेखा जोखा
पर प्यार नहीं खाता धोखा
बारों महीने रहता है एक सरीखा।
सावन होता है खुशनुमा
पतझड़ बंधाती ढाढस और बांधती समा
चमक आ जाती ख़ुशी देती अरमा
उसकी भी आँखे भी हो जाती शरमा।
वो नहीं दिखते कभी एक दिन
दिल में हैरानी आ जाती हरदिन
मन मचलता और दिल हो जाता मजबूर
मन ही मन हम कह उठते, 'अब तो आ जाओ हुजूर'!
आँखे ही नहीं, मन हो उठता प्रफुल्ल
चेहरा चमक जाता और, खिल उठता दिल
मन मचलता और कहता, एक दूसरे का दिल
नही थमेगा ये घमासान जबतक ना हो जाते हम मिल।
डॉ.हसमुख मेहता
साहित्यिकी
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Author Hasmikh Mehta welcome.. 俊孝鹿毛