New Year Poem by Rakesh Sinha

New Year

2014 कह रहा है bye-bye
और hello कहने को आतुर है 2015
चल रहा है greetings का आदान-पदान
सज रहीं हैं खुशियों की महफिलें
संगीत की धुन पर थिरक रहे हैं कदम
जाते हुये साल में आओ भुला दें सारे गम
हर वर्ष की तरह हम पुराने calendar उतार फेंकेंगे
और फिर नये वर्ष के कैलेंडरों से दीवारों को सजाएंगे
पर मेरे दोस्तों, calendar बदलने से कुछ नहीं होगा
बदलना है तो अपने दिलों को बदलो
उतारना है तो उतार फेंको ये आडंबर का चोला
एक नजर उनकी तरफ डालो, जिनके कंधे पर है गरीबी का झोला,
अपने दिलों में करो इंसानियत का जज्बा रौशन
तभी सार्थक होगा नये साल का ये खुशियों भरा जशन,
ईष्या-द्वेष, काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह को अपने जीवन से भगाओ
अपने मन में सबके लिए प्रेम और सौहार्द जगाओ,
आओ मिलकर करें स्वागत नये वर्ष का
नया साल हो सबके लिए उल्लास का, हर्ष का |

Wednesday, April 15, 2015
Topic(s) of this poem: new year
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