Poetry You Love Poem by Ravi Visharda

Poetry You Love

Rating: 5.0

एक सायर ने दुसरे साएर से कहा
हम सब हो जायेगे एक दिन तबाह
यह महफ़िल जिसे जी रहे है हम सब
पर आखिर में क्या होगा किसे है पता
अब जब खोल दी है ये सब नब्ज
तो क्यों टटोल रहे है इसे हम सब
जातिवाद छिपा है अज्ज कल की नसल में
सब कोई है एक दुसरे की सरन में
कोई कहता में हु हिन्दू
कोई कहता में हु मुस्लमान
पर कोई ये नहीं कहता हम सब है इन्सान
परमात्मा ने ये धरती बनायीं
उस पर ये इन्शानो की दुनिया बसाई
पर हो गया है अज्ज मतलबी इन्शान
भूल गया है वह अपना इमां जातिवाद हो गयी है अज्ज की राजनीती
हर रोज होती है एक न एक आप बीती

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POET'S NOTES ABOUT THE POEM
एक सायर ने दुसरे साएर से कहा
हम सब हो जायेगे एक दिन तबाह
यह महफ़िल जिसे जी रहे है हम सब
पर आखिर में क्या होगा किसे है पता
अब जब खोल दी है ये सब नब्ज
तो क्यों टटोल रहे है इसे हम सब
जातिवाद छिपा है अज्ज कल की नसल में
सब कोई है एक दुसरे की सरन में
कोई कहता में हु हिन्दू
कोई कहता में हु मुस्लमान
पर कोई ये नहीं कहता हम सब है इन्सान
परमात्मा ने ये धरती बनायीं
उस पर ये इन्शानो की दुनिया बसाई
पर हो गया है अज्ज मतलबी इन्शान
भूल गया है वह अपना इमां जातिवाद हो गयी है अज्ज की राजनीती
हर रोज होती है एक न एक आप बीती

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