Tanhai Me Rab (Hindi) तन्हाई में रब दिखता है Poem by S.D. TIWARI

Tanhai Me Rab (Hindi) तन्हाई में रब दिखता है

तन्हाई में रब दिखता है


किसी को लगता है तो लगे सजा तन्हाई।
मेरे लिए लेकर आई है, मजा तन्हाई।
लिए हूँ कबसे, किसी की मीठी सी यादें,
दिल से पूछे दर्द लेने की, रजा तन्हाई।

तन्हाई थी कि रोज रोज वो सताती रही।
दिल में बैठी हुई, दिन रात रुलाती रही।
दिल की तलाशी में मिल गया और भी कोई,
जली लौ उसकी, अंधे को डग दिखाती रही।

छोड़ जाये कोई तन्हा, है मगर गम नहीं।
दिल बहलाने को दिया उसका, कोई कम नहीं।
चाँद, तारे, बादलों से कर लेंगे, रोज बातें,
खो देंगे किसी की यादों में, मौसम नहीं।

पूछ लेंगे चिड़ियों से, जाकर उनका हाल।
रख लेंगे ला गुलों से, खुशबुएँ सम्हाल।
मौजों से मिल आएंगे, जा दरिया के पास,
इससे पहले कि कर दें हमें यादें बेहाल।

यूँ तो यादें भुलाना, होता मुश्किल बड़ा।
तन्हाईयों में जीना, होता मुश्किल बड़ा।
कोई ना हो, तब भी होता रब का है साथ,
कर देता आसान, कोई भी मुश्किल बड़ा।

याद करने को रब, करे मजबूर तन्हाई।
कुदरत से कराती बात, भरपूर तन्हाई।
चाहे जिंदगी के शिकवे, शिकायतें, मगर,
कर न सकती है, उसको कभी दूर तन्हाई।


- एस० डी० तिवारी

Thursday, April 27, 2017
Topic(s) of this poem: hindi,spiritual
COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 27 April 2017

तन्हाई में भी सुकून की तलाश का खूबसूरत आईना है यह नज़्म. बहुत बहुत शुक्रिया, जनाब.

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