Yeh Sanse Yuhi Chalti Nhi Poem by milap singh bharmouri

Yeh Sanse Yuhi Chalti Nhi

यह सांसे युहीं चलती नहीं


यह सांसे युहीं चलती नहीं
चलाने वाला जरुर है कहीं

उसका वजूद जरुर है सच
कहते भी है 'मिलाप' कई

अगर उसको झूठ कहते है
तजुरबे में होगी कहीं कमी

हमको तो वो ही दिखता है
चाहे देखें फलक या जमीन

शायद वो हो आस-पास ही
देखो तुम इधर-उधर अभी


मिलाप सिंह

POET'S NOTES ABOUT THE POEM
this poem is written about faith in existence of god by milap singh.
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