Puneet Garg Poems

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Befikar Raat Ki Jugaad

बेफिक्र रात की जुगाड़ में, सुबह-ओ-दोपहर यूँ उलझा बैठा हूँ
बरामदे में इंतज़ार में बैठी, मौत की उलझने सुलझा बैठा हूँ

बदन की हर नस, गुहार - ए- आराम नहीं करती आजकल
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