rishabh shukla

rishabh shukla Poems

उसे बचपन न समझो वह फुल सी कली है!
जहा न हो बच्चे वह कौन सी गली है! !
कुछ की होती है गर्भ मे हत्या!
तथा कुछ करते है यौवन मे आत्महत्या! !
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rishabh shukla Biography

I am Rishabh Shukla from Utterpradesh. I want to become a famous Hindi poet.)

The Best Poem Of rishabh shukla

बचपन

उसे बचपन न समझो वह फुल सी कली है!
जहा न हो बच्चे वह कौन सी गली है! !
कुछ की होती है गर्भ मे हत्या!
तथा कुछ करते है यौवन मे आत्महत्या! !
जब उन्हे लेनी चाहीये शिक्षा!
तब वे मागते है सङको पर भीक्षा! !
कुछ बन जाते है कच्ची उम्र मे छोटु!
लोग इन्हे समझते है मुर्ख और भोंदु! !
कुछ छोटु होटलो मे धोते है प्लेट!
तथा कुछ सोते है भुखे पेट! !
कोइ भी नही देता है उन्हे सहारा!
क्योकी दुनिया के लिये वे है बेसहारा! !
बच्चो का बचपन तुम ना गवाना!
क्योकी बचपन मिलता नही दोबारा! !
अब फुल से बच्चे बन गये है कठोर!
क्योकी उनको भोजन नही मिलता कही और! !
वे है हम लोगो की उपेक्षाओं का शिकार!
उन्हे देना चहीये समुचित प्यार और आहार! !
जिवन पर खेलकर पाता है सुखी रोटी!
उसकी दुनिया है संकृत और छोटी! !
बच्चे है बेसहारा, भुखे और नंगे!
सारी दुनिया करती है हर हर गंगे! !
इनके है चोर, झुठे और कई नाम!
इनको मिलते है मार गालियो के सम्मान! !
ये जिवन भर सहते है दर्द और मार!
कोई भी इन्हे नही करता है प्यार! !
मै करुंगा दुआ खुदा और सभी से!
इन्हे मत दो दर्द कभी भी कही से! !

सबको गले लगाओ!
पढो और पढाओ! !

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