Shashi Shekher Singh Poems

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1.
प्यार के दो बोल

काँटों के सौदागर भी फूल बिछा सकते है,
आपके दुश्मन भी प्यार बरसा सकते है,
लड़ाई-झगड़ा हर समस्या का हल नहीं प्यारे,
छमा करने से सब तेरी मुरीद हो जा सकते है,
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2.
एक भोली माँ

माँ का नटखट गोपाला,
बड़े नाजो से उसको था पाला,
फुदकता, खेलता इधर-उधर,
ढूंढती परेशान हो माँ ना जाने किधर।
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3.
Beti Bachao

Ek Bat Hamari Aaj Suno,
Ek Sapna Tum Bhi Aaj Buno, Padhegi Beti, Badhegi Beti,
Aisi Tum Aaj Rah Chuno.
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4.
Bachpan Ki Yade

Yado Ki Dariyan Me Jab Man Gote Khata Hai,
Kavi Dil Jor Se Hasta To Kavi Ro Jata Hai,
Na Bhula Sakte Papa Ka Hanth Tham Kar Chalna Sikhna,
Khiloone Ki Jid Me Unhe Apni Tarf Khinchna,
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5.
माँ

हाँथो में जिसके जादू समाया हैं,
चरणों में जिसके खुदा भी सर झुकाया हैं,
जिसके कदमो में जन्नत की सैर है यारो,
खुशहाल हु मै जो माँ का प्यार पाया है,
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6.
दहेज़ प्रथा

जल रहे चिते से निकली इक आवाज़,
जिसको सुन ले ये पूरा समाज,

गाँव में इक अबला नारी थी,
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7.
पिता

8.
एक आवाज़

आस-पास कोई चीख रहा था,
पर वो न दिख रहा था।
इस बात पे यकीं न हो पाया,
इक कटे पेड़ को सामने पाया।
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9.
मेरी बहने

प्यारी दुलारी और मेरी लड़ो,
मेरी बहने, पुंची और साधो।
मेरे घर की दो अनमोल रतन है,
जो, शरारती, भोली और चंचल मन है।
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10.
जालिम दुनियां

कभी मेरी भी महफ़िल में,
सजा था खुशियों के दीये,
उठा इक जोर की आंधी,
वो दीया बुझाया था।
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