SHEKHAR MISHRA Poems

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1.
आत्म मंथन

असमंजस पूर्ण यह क्षण है।
किंकर्तव्यविमूढ़ यह मन है ।
अंतर द्वन्द की आज पराकाष्ठा है ।
स्वयं से स्वयं का युद्ध चरम सीमा पर है ।
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