वो बात मुझसे करता है, पर बातें किसी और की होती है,
वो देखता मुझे है, पर उसकी आंखों में किसी और की पहली झलक का इंतजार है,
वो ख्याल मेरा रखता है, पर उसके ख्यालों में किसी और का एहसास है,
नाराजगी नहीं है उनसे, पर गम इस बात का है,
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कहने को तुम थे, पर मेरे लिए तो हो कर भी नहीं थे,
कहने को तो हम हमेशा साथ रहते हैं, पर मेरे साथ हो कर भी तुम मेरे पास नहीं थे,
कहने को तो हम घन्टों बातें करते थे, पर मुझे जो कहना होता था वो तुम सुन्ना ही नहीं चाहते थे,
कहने को तो हम प्यार करते थे, पर सच पूछो तो मोहब्बत तो सिर्फ मैंने की थी,
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शयाद वो कभी कहेगा नहीं, जो मैं सुनने के लिए बेताब हूं,
शायद वो कभी समझेगा नहीं, जो मैं समझाने के लिए बेकरार हूं,
शायद प्यार करना मेरे लिए जितना आसान है, उससे रूबरू हो पाना उसके लिए उतना ही मुश्किल,
पर अब इस नसमझी की आदत हो गई है, या शायद उससे 'ना' सुनने की अब मुझमें हिम्मत नहीं।
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मै और वो
वो बात मुझसे करता है, पर बातें किसी और की होती है,
वो देखता मुझे है, पर उसकी आंखों में किसी और की पहली झलक का इंतजार है,
वो ख्याल मेरा रखता है, पर उसके ख्यालों में किसी और का एहसास है,
नाराजगी नहीं है उनसे, पर गम इस बात का है,
कि वो मुझसे हर दर्द बांटता है, पर हमदर्द किसी और का है।