माँ जैसी जन्नत जिनके पास होती है. वो नसीबो वाले हैं
याद बड़ी तडपाती है जब वो पास न होकर दूर होती है
माँ के ऋण से उऋण न हो पाए कोई क्यूंकि एक,
माँ ही तो है जो हर बच्चे की तक़दीर होती है
बच्चे की आने वाली मुश्किलों का अंदाज़
जिसे सबसे पहले हो उन मुश्किलों को
दूर करने वाली माँ ही पहली होती है
दिलों जान से चाहती है, , खुद को
कुर्बान करती बच्चों पर., , वो सिर्फ और सिर्फ माँ ही होती है.
. जब जब नज़र से दूर होता उसका कलेजे का टुकड़ा
दिन और रात सिर्फ उसकी ही आँखे राह तकती है
जैसे ही देखा बच्चे को माँ की बांछें खिलतीं हैं
हर ख़ुशी हर ग़म उसका और उसकी जान बच्चे में ही होती है
न देख सकती उदास अपने कलेजे के टुकडे को वो
सर पर बारम्बार हाथ फिर, फिराकर रोती है
दुनिया के हर दुःख झेलकर भी अपने बच्चे के दामन को ,
वो खुशियों से भरति है बड़े होकर संतान भले ही भेजे
वृध्धाश्रम उसे, या करे तनहा फिर भी
'माँ 'दुवायें ही देती हैं
इसलिए तो लोग कहते हैं
संतान हो जाय कुसंतान पर
माता कुमाता कभी 'ना ' हो सकती है..
भर देना ऐ संतान.. गंगा.. सी माँ की झोली में तुम खुशियाँ, तीर्थ तेरा घर पे तेरे है आंसुओं से कभी उसके नयन तू ना भीगने देना,
न देना दान मंदिरों अनाथालयों में तुम सिर्फ माँ की दुवाओं से ईश्वर को रिझा लेना.
शत शत वंदन शत शत वंदन तेरे चरणों में ओ ...माँ.. माँ.. माँ.
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ईश्वर से जिसकी तुलना की जाती है उस माँ के त्याग व महानता को रेखांकित करती है आपकी यह रचना. अतिसुंदर. हर ख़ुशी हर ग़म उसका और उसकी जान बच्चे में ही होती है बड़े होकर संतान भले ही भेजे....वृध्धाश्रम उसे माता कुमाता कभी 'ना ' हो सकती है..