नारी से है हम, नारी से हो तुम,
नारी ही माँ बहन है,
नारी ही है बहू बेटियाँ ।
नारी से घर स्वर्ग बना है,
नारी से ही ये घर नर्क बना है।
नारी से ही जुड़ी है घर की सारी खुशियाँ,
नारी से ही बनी है ये अनोखी दुनिया ।
नारी ही थी वो लक्ष्मीबाई,
अकेले ही दुसमनों से जो लड़ पड़ी।
नारी ही थी वो सती सावित्री,
पति के लिए यमराज के साथ जो चल पड़ी।
कब होगी हर नारी आजाद
आज, कल या कल के बाद।
हर श्वास में उसकी है ये कैसी वेदना
क्यों जग चाहे उसकी आशाएं भेदना।
वे कहते हैं नारी जगत-जननी
रह गई जो केवल एक मां या एक पत्नी।
हां! यह सत्य है कि नारी महान है
पर आज जिसकी तलाश है वह उसकी पहचान है।
नारी वो जो सूर्य-सी उदय हो
वो जिसके हृदय में धूप का ज्वालाकण हो।
शीत की हर लहर से अनछुई रह जाए
इतना ताप उसमें उत्पन्न हो।
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