क्यूँ दुनिया ने ये रस्म बनाई है
करके इतना बड़ा कहते है जा बेटी तू पराई है
पहले दिन से ही उसको ये पाठ पढाया जाता है
सजा के लाल जोड़े में दुल्हन बनाया जाता है
छुड़ा देती है बेटी से बाबुल का ये घर
क्यूँ दुनिया ने ये ज़ालिम रस्म बनाई है
करके इतना बड़ा कहते है जा बेटी तू पराई है
रोते है खुद फिर उसको भी बहुत रुलाते है
अपने हाथों से दरवाजे तक छोड़ आते है
हर दिन याद करते है बहुत याद आते है
इस रस्म ने क्यूँ बेटी से ही की बेवफाई है
करके इतना बड़ा कहते है जा बेटी तू पराई है
साथ बेटी के फिर बहुत दहेज़ भी जाएगा
शायद फिर भी ना बोझ ये सर से उतर पायेगा
रोएगी माँ, जाते देख बाबुल ना संभल पायेगा
देके जुदाई बेटी को क्यूँ इस रस्म ने सजा सुनाई है
करके इतना बड़ा कहते है जा बेटी तू पराई है
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