हमार पिया (भोजपुरी) Poem by Upendra Singh 'suman'

हमार पिया (भोजपुरी)

सेनुरा बनल रहे माँग कय हमार पिया ना.
हमके चाही ना नौ लखा हार पिया ना.

तोहके देखत रहीं संझवां बिहनवां.
रहिहा तूं पिया हमरी अँखिया कय समनवा.
तूं त जियरा का हमरे कंठहार पिया ना.
सेनुरा बनल रहे माँग कय हमार पिया ना.

अब ना मोहें छोड़ जइहा विदेशवां.
हम त रहब पिया तोहरे हो सथवां.
हमरी जिनगी कय तू ही असधार पिया ना.
सेनुरा बनल रहे माँग कय हमार पिया ना.

तूं ही हमार चाँद पिया तूं ही सूरजवा.
तोहरे बिना सूना दुनियाँ कय रजवा.
तूं त मधुबन कय हमरे बहार पिया ना.
सेनुरा बनल रहे माँग कय हमार पिया ना.

तूं हउवा हीरा हमार तूं ही सोना-चानी.
गिरधर हमार तूं हम मीरा दीवानी.
हमरे मनवां कय तूं ही चन्द्रहार पिया ना.
सेनुरा बनल रहे माँग कय हमार पिया ना.

साँची पीरितिया न बलमा भूलइहा.
छोड़ के ना हमके सजन तूं हो जइहा.
इहे बिधना से हउवे मनुहार पिया ना.
सेनुरा बनल रहे माँग कय हमार पिया ना.

उपेन्द्र सिंह ‘सुमन’

Saturday, December 12, 2015
Topic(s) of this poem: love
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success