आज सुबह एक सपना देखा,
सपने में मेरे नहें-मुन्ने पौत्र ने
बातों ही बातों में मुझसे ये सवाल दागा -
मेरे लिए कैसी दुनियाँ बना रहे हो दादा?
आखिर मैं भी तो एक दिन इस धरती पर आउंगा
और अपने बाल-बच्चों सहित अपने सपनों की
खूबसूरत दुनियाँ बसाऊंगा.
मुन्ने की बात मेरे मन को भा गई,
मेरे ह्रदय की कली खिलखिला गई.
मैंने कहा - मेरे लाड़ले हम आनेवाली पीढ़ियों के लिए
सुख-समृद्धि से भरी-पूरी शानदार दुनियों बसाने का
भरपूर प्रयास कर रहे हैं,
तुम्हारे लिए अंधाधुंध विकास कर रहे हैं.
तुम बच्चों के लिए चाँद को आसमां से तोड़
धरती पर लाने का विचार है,
अरे, तुमसे ही तो हमारा संसार है.
बहरहाल,
बाग़-बगीचों व वनों को काटकर
हम गगनचुम्बी इमारतें बना रहे हैं.
तुम्हारी भावी दुनियाँ में इंकलाब ला रहे हैं.
असंख्य कल-कारखाने लगा हम बेरोजगारी की
कमर तोड़ रहे हैं,
बड़े-बड़े बाँध बना नदियों की धारा मोड़ रहे हैं.
पहाड़ों की छाती पर हमारे आशियाने चमचमा रहे हैं,
अरे, धरती की कौन कहे!
अब तो हम आसमान पर भी कब्जा जमा रहे हैं.
ये धरती तो अब हमारी नौकरानी है,
अरे बेटा, तुहें क्या-क्या बताऊँ?
हमारे विकास की बेहद शानदार कहानी है.
मैं अभी विकास का वृतांत सुना ही रहा था,
असली बात पर आ ही रहा था कि -
अकस्मात, मेरा प्यारा पौत्र फूट-फूट कर रो पड़ा,
ऐसा लगा मानो उस पर आसमान टूट पड़ा.
मैंने बड़े दुलार से उसे अपनी गोंद में उठाया,
उसे गले से लगाया.
और पूछा - राजा बेटा तुम क्यों रो रहे हो?
दुःख और पीड़ा को अपनी आवाज में घोलते हुये,
हमारे तथाकथित विकास को अपने शब्दों में तोलते हुए,
सिसकियों भरी आवाज में मुन्ना ने
मेरे सवाल पर फिर सवाल दागा,
किसी तरह ख़ुद को संभालते हुए मुँह खोला
और बोला -दादा,
मेरे जिगर में अपने विकास की कटार क्यों गोद रहे हो?
मेरे आने से पहले ही मेरी कब्र क्यों खोद रहे हो........? ? ? ? ? ? ? ? ? ?
मेरे समक्ष सवालों की झड़ी लगाकर
अपनी नाराजगी जताकर,
मेरा मुन्ना मुझसे रूठ गया.
इस सदमें में मेरा सपना टूट गया.
मुन्ना का सवाल अब मेरे सामने पहाड़ बन कर खड़ा है.
बहरहाल, मुझे अब पता चला है कि -
विकास का असली फ़लसफा हमारी छोटी समझ से
कहीं बहुत बड़ा है.
Wonderful dream you have seen today's morning. Very fantastic sharing done definitely.10
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विकास के नाम पर पर्यावरण को जो नुक्सान पहुंचाया जा रहा है और उसका आने वाली पीढ़ियों पर क्या असर पड़ेगा, इस सब पर आपकी कविता में रोचक अंदाज़ में कटाक्ष किया गया है. धन्यवाद. एक उद्धरण: मुन्ना....बोला -दादा / मेरे जिगर में अपने विकास की कटार क्यों गोद रहे हो? / मेरे आने से पहले ही मेरी कब्र क्यों खोद रहे हो........? ?