दृष्टिकोण Poem by Upendra Singh 'suman'

दृष्टिकोण

Rating: 5.0

यदि इस दुनियाँ में कुछ भी
नकारात्मक है
तो वह है दृष्टिकोण
और यदि कुछ भी सकारात्मक है
तो वह है दृष्टिकोण.
दृष्टिकोण यानी आदमी की सोच-समझ
उसका नज़रिया
उसके देखने का अंदाज
उसके देखने का कोण
या यूँ कहें कि -
उसके विचारों का जोड़-तोड़.
दृष्टिकोण जब परिवर्तित होता है
तो -
कुछ ऐसा जादू चल जाता है
कि -
दुनियाँ का रंग ख़ुद ब ख़ुद बदल जाता है.
ज़िन्दगी संवर जाती है
और झोली खुशियों से भर जाती है.
दृष्टिकोण दुःख-सुख का प्रदाता है,
दृष्टिकोण भाग्य का विधाता है,
यह दौड़ते हुए को गिराता है
और गिरे को उठाता है.
दृष्टिकोण में अद्भूत प्रबलता है
इतनी कि भाग्य भी
इसके इशारे पर ही चलता है.
जिसका जैसा दृष्टिकोण होता है
वह अपनी दुनिया
वैसी ही बना लेता है.
अपनी सोच
अपने विचारों के अनुरूप
अपना रास्ता अपना लेता है.
एक सी परिस्थिति में
कोई रिकार्ड तोड़ देता है
तो कोई ख़ुद पर से भी भरोसा छोड़ देता है.
नकारात्मक दृष्टिकोण वाले लोग
प्रकाश में भी अँधेरे की आशंका से भयभीत हैं,
जबकि सकारात्मक दृष्टिकोण वाले लोग
अँधेरे मैं भी रोशनी तलाशते प्रतीत होते हैं.
जीवन में उत्थान-पतन, सुख-दुःख
सब दृष्टिकोण का खेल है,
ये आनंद, उल्लास
ख़ुशिओं की ग़ज़ल गाती ज़िन्दगी
सब सकारात्मक सोच का तालमेल है.

Wednesday, January 13, 2016
Topic(s) of this poem: perspective
COMMENTS OF THE POEM
Kumarmani Mahakul 13 January 2016

Very wonderful poem on perspective topic shared really. Wisely drafted and shared.10

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