लोकतंत्र जंगल में आया, जनता अब होगी राजा.
भोलू भालू नाच रहा था, बन्दर बजा रहा था बाजा.
देख नज़ारा यह अलबेला, उछल पड़ा नटखट खरगोश.
तभी बला आ गई अचानक, हवा हो गये सबके होश.
छिपा झाड़ की आड़ पकड़कर, भोलू भालू हुआ बेहोश.
तितर-बितर हो गए सभी झट, भूल-भालकर सारा जोश.
गुस्से में बिफरा तब शेर, और गर्जना की भारी.
काँप उठी जंगल की दुनियाँ. जान सभी को अपनी प्यारी.
जंगल में हो गया अमंगल, खामोशी तब झट छाई.
इतने में डाली पर बैठी, बंटी चिड़िया चिल्लाई.
जंगल में अब लोकतंत्र है, अपनी अब न चलाओ.
राज गया वनराज तुम्हारा, वापस लौटो घर को जाओ.
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Wonderfully narrated poem....I enjoyed and loved it....thank u for sharing :)