कदम सार्वजनिक करे
धूर्त कहो या शातिर
ये सब है पावर के खातिर
वो सब चाहते है सदा अशांति
हम सब जानते है इतिहास अत थी इति।
इनका बस चले तो देश को पूरा बेच डाले
जितना कमाना चाहे उतना कमाल
इनकी भूख सदा प्रज्वलित रहती है
सभी चीज को स्वाहा कर देती है।
इनको बोलने की कोई तमीज़ नहीं
जबान कभी नहीं बोलती सही
संसद को ये लोग चलने देते नहीं
वेतन और भत्ता पूरा लेकर डकारते यही।
अण्णाजी को समझना होगा
उनका आंदोलन शांतिमय होना
वरना ये उनका पूरा फ़ायदा उठाएँगे
पर अपने को तीसमारखाँ कहलाएँगे।
पहले उनको पूछो 'अपनी संपत्ति घोषित करे '
सेवा का जोर जोर से उद्घोष करे
भारतमाता की रक्षा के लिए उठाने का हर कदम सार्वजनिक करे
और अपने घोषणा पत्र में सब के सामने कहे।
Patiram Patel बहुत ही खूबसूरत रचना Like · Reply ·
पहले उनको पूछो 'अपनी संपत्ति घोषित करे ' सेवा का जोर जोर से उद्घोष करे भारतमाता की रक्षा के लिए उठाने का हर कदम सार्वजनिक करे और अपने घोषणा पत्र में सब के सामने कहे।
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem
Virendra Bhatt Virendra Bhatt · Friends with Patiram Patel Bahut khoob Like Like Love · 1 · 6 hrs