हाँ मैँ गरीब का बेटा हूँ Poem by Tarun Upadhyay

हाँ मैँ गरीब का बेटा हूँ

हाँ मैँ गरीब का बेटा हूँ...

जिँदगी का हर सितम मैँ सह लेता हूँ

मजबूरियोँ मेँ भी खुश रहता हूँ

चंद टुकड़ोँ से पेट भर लेता हूँ..

क्यूँकि मैँ गरीब का बेटा हूँ

ठण्डी मेँ ठिठुर लेता हूँ
बरसात मेँ भीग लेता हुँ

गरमी पाँव जलाती है तो पत्थरोँ पे मैँ सो लेता हूँ

क्यूँकि मैँ गरीब का बेटा हूँ

कभी सब्जी तो कभी कुछ ना मिले
नमक रोटी पे मैँ जी लेता हूँ

दर्द चाहे जितना भी हो
खुश होकर पी लेता हुँ

क्यूँकि मैँ गरीब का बेटा हूँ

एक कमीज पतलून रोज बिना साबुन मैँ धोता हूँ

भरी दुकानोँ की रौनक देख अक्सर खुश हो लेता हूँ

क्यूँकि मैँ गरीब का बेटा हूँ

गम भी बहुत है दर्द भी है
दिल मेँ सब दबा लेता हूँ

कभी अकेले तो कभी सबके सामने
आँखो से आंसू सुखा लेता हूँ

क्यूँकि मैँ गरीब का बेटा हूँ:
-(अज्ञात)

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