सपनों के सितारे चमकने दो‏ Poem by Pushpa P Parjiea

सपनों के सितारे चमकने दो‏

आकांक्षाओं के आकाश में सपनों के सितारे चमकने दो

इठलाती-बलखाती नदिया की तरंगों को बहने दो

कदम्ब की छैंया तले शीतल पवन पुरवैया दो

अगुवाई कर सावन की अंखियों से नयन नीर बहने दो

मन के अरमानों को ऊंचे आसमां तक सजने दो

उड़ जाऊं बन पंछी गगन में अब पंख फैलाए उड़ने दो

नजर आई हैं समन्दर की सुहानी लहरें अब

दूर-दूर तक, मीन बन जल में रहने दो

जल गए खुशियों के दीप आज बाती बन जलने दो

लेकर पुष्प मधु सुन्दर श्याम को समर्पण करने दो

आश लगाए बैठे दो नैना, पूजन थाल को सजने दो

राह निहारे राधा श्याम की, कान्हा अपनी बंशी बजने दो


राधा कहे ओ मोरे कान्हा लगी प्यास मिलने की जो

बुझे न बुझाए यतन कर हारी, एक नजर अब दर्शन दो....

Friday, June 10, 2016
Topic(s) of this poem: abc
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