औरत Poem by C. P. Sharma

औरत

ऐ औरत
कैसे करूं तेरा बयां?
अलिफ़ से
क़यामत तक
तू ही तू है। … तुझ को सलाम।

तू है सरस्वती
तुझ में ज्ञान का भंडार,
तू ही लक्ष्मी
प्रगति और विस्तार,
तू है दुर्गा और चंडी
शक्ति और संघार। … तुझ को सलाम।

तू ही घोषा
जिसकी भक्ति ने
स्वास्थय जगाया।
तू ही लोपमुद्रा
जिसने अगस्त्य को
स्थिति प्रज्ञ बनाया।। … तुझ को सालम।

तू ही मैत्रेयी
जिसने अमरत्व का
ज्ञान बढ़ाया।
तू ही गार्गी
जिसने ज्ञान को
पराकास्ठा दी।। … तुझ को सलाम।

तू शक्ति,
तू ज्वाला,
तू ही चिंतपूर्णी।
तू ही वैष्णवी है
उसकी ज्योत
माँ तुझ में।। … तुझ को सलाम।

ऐ माँ
तूने ही ये दुनियां दिखायी
तूने ही सारा
फिलॉसफा सिखाया
तूने ही प्यार कि
बुनियाद रखी ।।… तुझ को सलाम।

दुनियावी रिश्तो को
तू ने पढ़ाया;
क्या हैं बहिन, पत्नी
और बेटी बताया।
संसार के सब परिचलन तुझ से।... तुझ को सलाम।

गर तू न होती तो
क्या राम होता?
क्या कृष्ण होता?
ये सारी ख़ुदाई
तुझ में ही समाई। … तुझ को सलाम।

औरत
Monday, July 11, 2016
Topic(s) of this poem: woman,womanhood
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C. P. Sharma

C. P. Sharma

Bissau, Rajasthan
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