जब से हुए हैं दूर हम परवरदिगार से Poem by NADIR HASNAIN

जब से हुए हैं दूर हम परवरदिगार से

जब से हुए हैं दूर हम परवरदिगार से
मज़हब तड़प रहा है सियासत की वार से

लकड़ी की चाबी जेल में ईजाद होगई
चादर लपेट उड़गया ऊँची दीवार से

: नादिर हसनैन

Friday, November 4, 2016
Topic(s) of this poem: scared
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