चुग-चुग काकर रोड तै Poem by Manish Shokeen

चुग-चुग काकर रोड तै

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चुग-चुग काकर रोड तै, फैके जाऊँ जोह्ड म्ह
बैठ कै कंठारे पै, देख कै शांत पाणी नै

म बगाऊं एक काकर, अर तु उसतै मचळ कै
उसनै मेरा इशारा समझ कै

पाणी की ख़ामोशी नै तोड़ती होई
मेरे तै मिल्यण की खुशी म्ह

गोळ चकरी की ज्युं घुमदी होई
मेरे कान्ही चाल पड़ै

अर मैं देखे जा बाट तेरी
सहज-सहज मेरे धौरे प्हुच कै

तु खुद ने खत्म कर दे
मेरे म्ह मिलकै अपणे-आप नै भस्म कर दे

चुग-चुग काकर रोड तै
फैके जाऊँ जोह्ड म्ह

Monday, January 22, 2018
Topic(s) of this poem: love,memory
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Manish Shokeen

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Najafgarh
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