राधे राधे नाम रटत श्याम Poem by Dr. Navin Kumar Upadhyay

राधे राधे नाम रटत श्याम

राधे राधे नाम रटत श्याम,
प्यारी जू सखि बदन छिप्यो है।
इत-उत हेरत, लखत न.जब कहीं,
. सुभग सुन्दर तन श्रमित भयो.है।।
आई लेट्यो, कछु न दीखत.कहुँ,
इक.गोपी, तब करकँज गह्यो.है।
'नवीन'करतल कर पकड़ि ले जा,
.........राधा मुख दरशाई.दियो.है।
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Tuesday, March 14, 2017
Topic(s) of this poem: religion
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