मधुर नाम जगत जननी Poem by Dr. Navin Kumar Upadhyay

मधुर नाम जगत जननी

श्री आचार्य चरण युग बन्दि,
श्री गणपति देव सिर नाऊँ ।
मधुर नाम जगत जननी देवी,
श्रद्धा प्रेम भाव सहित गाऊँ ।।
जयति अनन्ता आर्या आद्या,
अहँकारा अपणा^ ।
अप्रौढ़ा अग्निज्वाला,
अभव्या, ।अनेकवणा^ ।।
अमेयविक्रमा अनेकशस्त्रहस्ता,
अनेकास्त्रधारिणी ।
ऐन्द्री एककन्या कुमारी,
क्रिया करा कात्यायनी ।।
कौमारी कलमँजीररँजिनी,
कैशोरी कालरात्रि कराली ।
किशोरी घोररुपा चिता,
चण्डघण्टा चित्ररुपा काली।।
चित्रा चिति चिन्ता चामुण्डा,
जया जलोदरी तपस्विनी ।
दुर्गा देवमाता देवकन्या,
दसयज्ञविध्वँसिनी नारायणी ।।
नित्या शुँभनिशुँभहन्त्री,
पिनाकधारिणी पाटलीवती ।
पाटला पट्टाम्बरपरिधाना,
परमेश्वरी प्रत्यक्षा पुष्पाकृति ।।
जयति प्रौढ़ा बुद्धि ब्राह्मी,
बलप्रदा ब्रह्मवादिनी ।
भवप्रीता भवमोचिनी भव्या,
भद्रकाली भव्या भवानी ।।
जयति महातमा मन महाबल,
महिषासुरमर्दिनी महेश्वरी ।
जयति मुक्तकेशी मधुकैटभहन्त्री,
यति युवती महोदरी ।।
जयति रौद्रमुखी रत्नप्रिया,
लक्ष्मी वनदुर्गा वाराही विमला ।
वैष्णवी बुद्धिदा बहुलप्रिया,
वृद्धमाता विष्णुमाया ।।।।बहुला ।।
जयति शूलधारिणी शाकम्भरी,
शिवदूती सती सुन्दरी ।
साध्वी सव^मन्त्रमयी सत्ता,
सत्यानन्दस्वरुपिणी सुरसुन्दरी ।।
सदागति सवा^सुरविनाशा सत्या,
सव^शास्त्रमयी सवा^स्त्रधारिणी ।
सव^विद्या सावित्री सव^वाहनवाहना,
अज्ञेया सव^दानवघातिनी ॥
जयति त्रिनेत्रा उत्कर्षिणी अमृतस्वरुपिणी,
जीवन्त अनन्तयुग पर्यंता ।
नमत ब्रह्मादि सुर भूत प्रेत पिशाच,
बारँबार अनँता ।।
हे माँ दुर्गे! कारुण्यामृतवर्षिणी,
बारँबार विनय यही मोरी।
नाम अष्टोत्तरी पाठ करै सोई,
सकल मनवाँछित फल पावै री ।।
जगतजननी के नाम गायन करि,
'नवीन'अलमस्त होई घूमै।
कृपा प्रसाद पाय महादेवी सँग, ,
दिव्यलोक महँ विहरत झूमैं।।

Friday, March 17, 2017
Topic(s) of this poem: religions
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