सोचा था, प्यार न Poem by Dr. Navin Kumar Upadhyay

सोचा था, प्यार न

सोचा था, प्यार न करुँगा किसी से, जाने कैसे दिल लगा बैठा।
इश्के हालात बनी इस कदर, रात की नींद गँवा बैठा।।

Monday, December 18, 2017
Topic(s) of this poem: love
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