पहली वर्षा गर्मी के दिनों में Poem by Rinku Tiwari

पहली वर्षा गर्मी के दिनों में

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आज गरमी हैं इतनी
आग में होती हैं जितनी
पैरो से दो कदम चला नहीं जाता
इस आगोले को सहा नहीं जाता
हे भगवान कहर हैं क्या आपका
क्या भूल हुई हमसे बता जा
हवा भी साथ गर्म ले चला
प्यास से सुखी गला
खोज रही हैं पानी
दूर तक नजर नहीं आती
मेढक टर टर करती
शायद ईश्वर खुश हो
तभी ढोल नगारे बजे आसमाँ पर
बादल छा गए गोले पर
पवन बर्फ लिए आई
वर्षा पानी की आसमाँ से आई
मौसम हुई शीतल इतनी
शीत ऋतु में होती हैँ जितनी
आज भी याद हैं वो दिन
पहली वर्षा गर्मी के दिन

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